दोस्ती .....
सुना हैं कितना कुछ इसके बारे में मेने
क्या हैं और कैसी होती हैं ?
दोस्तों को मिलने के बाद जाना हैं की,
दोस्ती लफ्ज़ो से परे होती हैं ।
वो एक एहसास हैं जो रूह में बसता हैं
दूर होकर भी हरपल पास होता हैं ।
वो एक विश्वास हैं जो जहन में पलता हैं
चाहे कुछ भी हो जाये वो साथ रहता हैं।
वो ऐसी दुआ हैं जिस पर खुदा गौर करता हैं
अपने हिस्से की दवा वो दोस्तों में बाट देता हैं ।
ग़म के बादल छा जाये की अँधेरा घना हो
दोस्ती पथ पर उजाला बनकर खड़ी रहती हैं ।
जिंदगानी का वो पहलू हैं इस सफ़र में की
वो हर सफ़र में हमे चलना शिखा देती हैं ।
तय ना हो पाए फ़ासले जब वीराने में अगर
वो महफ़िल सज़ा कर दोस्तों को बचा लेती हैं।
देख ले मुश्किल में और कुछ कर भी न पाये तो
वो दोस्तों के साथ बैठकर दरिया बहा लेती हैं ।
याद ही रहेंगे सारे अफ़साने हम लोगो को यहाँ
क्योंकि दोस्ती ही हैं जो जमी पर जन्नत देती हैं।
अरसों बाद जब भी देखते हैं पुरानी तस्वीरे
वो हर चेहरे की मायूसी को हटा देती हैं।
कोई शरारत और शाम की वो गुफ़्तगु में
वो सोचकर पलकों से आँसु गिरा देती हैं ।
दोस्ती दर्द भी हैं अदा भी हैं और एक नशा भी
एक यही हैं जो हरवक्त सुकून देती हैं ।
- भूमि जोशी
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