Dedicate to respected Barad sir.
हमारे गुरुजी ने एक नई कहानी शिखाई हैं,
जहाँ न तो रावण बुरा हैं और नाही राम भगवान !
आप की ही हैं वो शिख जो समजती हैं की साहित्य सिर्फ गुदगुदि नही वो मॉन्स्टर का विद्रोह भी हैं,
एक ही सिक्के के दो पहलु एक वर्ड्सवर्थ तो दूसरा रोबर्ट फ्रॉस्ट भी हैं ।
परदा उठाके देखने की हिम्मत आपने ही दिलाई है,
गर सच्चे हो तों आवाज़ उठाने की शिख आपसे ही पाई हैं !
समाज की तस्वीर हरकदम पर सामने लाई है,
कोई नर इंद्र और नरेंद्र की गाथाए सुनाई हैं ।
अभी तक सीता, भानुमति और द्रौपदी की बाते करने वालों,
हैं क्यों जरूरी अभी भी वो feminist theory दिखाई है ।
जब पढ़ाई कविता 'कपडे आये तो...' सोचने पर मजबूर हुए,
की सिर्फ बिखरते लिबासों में रंगगिनिया ही लहराई हैं।
वो सारी वेल्यु ऑफ़ theories and conditioning of mind,
LPG का मतलब और GST की भरमार ।
वो Nationalism और Globalization का crisis,
वो पतंजलि और मॉल का Glocal market ।
9/11 का issue और मीडिया का प्रोजेक्शन,
होने की सभवनाये और छिपे हुई कई संदर्भ ।
इतिहास का पुनरावर्तन और नक्सलवै हमले,
हिस्टोरिकल फैक्ट्स और कई बार दिखाया मुँह छुपाकर बेठा हुआ सच ।
सिर्फ जितना ही नही शिखना भी होता है जिंदगी में,
गिरकर, रोकर और फिर से सम्भल कर चलना होता है जिंदगी ।
हर वक़्त शिखाया हैं रास्ता कभी आसान न होगा, न रुकना कभी ठहराव के साथ,
चलते ही जाना हैं 'Readiness is all' के साथ ।
Thank you.
This is really amazing! I am surprised to see that you have remembered so many things from classroom interaction.
ReplyDeleteThank you.
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