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Showing posts from October, 2017

બા

બા એણે આપેલું ઘણુંબધું એક બંધ મુઠ્ઠીમાં મને ! પટારો ખોલીને ખજાનો બતાવેલો એના રોમરોમ માંથી છલકાતાં પ્રેમનો, હૂંફનો, વ્હાલનો, સ્પર્શનો, ને શીખવેલી એક રીત જીવવાની ! બા સદેહે ગુંથાયેલી રહેતી પૂજાઘરમાં રસોડામાં, ઓરડામાં, ફળિયામાં, બાળકોમાં, તહેવારોમાં ને સતસંગમાં. હવે બા છે ઘરના અસ્તિત્વમાં, હદયના ધબકારમાં, શ્લોકોના ઉચ્ચારણમાં, થીજી ગયેલા અશ્રુમાં, બાજી ગયેલા ડુમામાં, ને આંખોના ઝળઝળીયામાં ! ભૂમિ જોશી

गोदान

                            गोदान गोदान  प्रेमचंद का आखरी और सर्वश्रेष्ठ  उपन्यास हैं। गोदान वो कथा हैं जिसमें भारतीय किसान का संपूर्ण जीवन निरूपण किया गया  हैं । होरी और धनिया दोनों पात्र भारतीय किसान का प्रतिनिधित्व के रूप में हमारे सामने खड़े हैं। होरी और धनिया की आशा, निराशा,वेदना, बेबसी, डर, और धर्मभीरुता वाचक को जनजोड़ को रख देती हैं । कैसे किसान कभी भी अपनी जिंदगी में खड़ा नही हो शकता वो निरूपण लेखक प्रेमचन्दने हूबहु चित्रण किया है। वो जिस कर्ज़ में पैदा होता हैं उसी कर्ज़ में वो अपनी सारी जिंदगी गुलाम बनकर गुजार देता है । गोदान, वास्तव में, २०वीं शताब्दी की तीसरी और चौथी दशाब्दियों के भारत का ऐसा सजीव चित्र है, जैसा हमें अन्यत्र मिलना दुर्लभ है।गोदान ग्राम्यजीवन और कृषि संस्कृतिका महाकाव्य हैं । इसमें प्रगतिवाद, गांधीवाद और मार्क्सवाद का पूर्ण परिप्रेक्ष्य में चित्रण हुआ हैं ।(Wikipedia) किसान होना अपने आप में एक अभिशाप बन चूका हैं वो मुद्रण यहाँ देखने को मिलता हैं । जो लोग दो वक़्त की रोटी नहीं जुट्टा पाते वो किसी और चीजो को के बारे में कैसे सोच शकते है। आँगन में गाय होना